मंगळवार, मे १५, २००७

अर्ज़ किया है

१. शायर हैं हम, शायरी हमारा काम है,
कायल हैं इस फ़न के आप, हमे सुधारना आपका काम है,
करते हैं वादा आपसे, की सुधारेंगे अपनी शायरी,
हमारी कोशिश का यह पहला पैग़ाम है।

२. नहीं कोई पैग़ाम उनका सुबह से,
यह बात सोच रहे हैं हम कितनी देर से,
कुछ खाली लग रहा था दिन, कुछ सूनी लग रही थी शाम,
दिल को फ़िर ख्याल आया, आज दिन गुज़रा है बडे अमन से।

३. न खेलो इस दिल से, यह बहुत नाज़ुक है,
नहीं समझोगे तुम, क्या हाल हमारा है,
न कोई साथी, न कोई सहारा है,
यह बेचारा अकेलेपन का मारा है।

४. गर करना हो सवाल, तो शौक से करो,
हर सवाल का मिलेगा जवाब, यह ख्वाईश ना करो,
कुछ ऐसे होते हैं सवाल, जिनके जवाब नहीं होते,
गर न मिले कोई जवाब, तो हमसे रूठा न करो।

५. ख्वाईश है हमारी, हो दिल-ए-तमन्ना बयां शायरी से,
मगर क्या करें, कुदरत ने नहीं नवाज़ा हमें इस फ़न से,
करते हैं मेहनत हम, चाहते हैं हर रोज़,
आज तो एक अच्छा शेर निकले इस दिल से।

फ़नकार: विनय बावडेकर
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1 टिप्पणी:

अनामित म्हणाले...

good try!!!! sudharshil re!!!

ye shayari, ye baate,
ye mausam, ye mulakate...
ye din gujar jata hai,
katti nahi raate...

fir aapne pagal dilko hum hai amjhate...
sapne kabhi hakikat ban nahi jaate.
kholo gar aankhe to sirf kaaate nazar aate....